Go back n protocol and Selective Repeat Protocol in Hindi and difference in hindi

what is Go Back N protocol in hindi

Go back N (GBN) protocol को Go back N Automatic Repeat reQuest (ARQ) भी कहते है. यह एक data link layer प्रोटोकॉल है जो कि sliding window तकनीक का प्रयोग करता है.
इस प्रोटोकॉल के features तथा working (कार्यविधि) को निम्नलिखित बिन्दुओ (points) के आधार पर समझ सकते है:-
point 1:-
  • इसमें sender window का size N होता है. उदाहरण:- Go back 8, तो sender window का size 8 होगा.
  • receiver window का size हमेशा 1 होता है.
point 2:-
  • इसमें receiver एक acknowledgement timer को maintain करता है.
  • जब भी receiver कोई frame प्राप्त (receive) करता है तो वह एक नए acknowledgement timer को शुरू कर देता है.
  • जब timer खत्म (expire) हो जाता है तो receiver उन सभी frames के लिए sender को acknowledgement भेज देता है जिनका उस समय तक acknowledge नही भेजा गया था.
point 3:-
  • Go back N का प्रयोग independent acknowledgement भेजने के लिए भी किया जा सकता है.
  • independent acknowledgement का प्रयोग जरूरत पड़ने पर किया जाता है.
point 4:-
  • यदि receiver किसी corrupt हुए frame को प्राप्त करता है तो वह उसे रद्द (discard) कर देता है. अर्थात् रिसीवर corrupt हुए frame को accept नही करता है.
  • जब timer expire हो जाता है तो correct frame को sender दुबारा भेजता है.

point 5:-

  • यदि receiver किसी ऐसे frame को receive करता है जिसका sequence नंबर सही नहीं है तो वह ऐसे frames को सीधे discard कर देता है.
  • और उसके पीछे से आने वाले सभी frames को भी discard कर दिया जाता है.
  • ऐसा इसलिए होता है क्योंकि receiver window का size 1 होता है और वह क्रम (order) में नहीं होने वाले frames को accept नहीं कर सकता है.
point 6:-
  • यदि किसी विशेष frame के लिए सेन्डर acknowledgement प्राप्त नहीं करता है तो यह समझा जाता है कि वह frame तथा उसके बाद आने वाले सभी frames को receiver के द्वारा discard कर दिया गया है.
  • इसलिए sender को उन सभी frames को दुबारा भेजना पड़ता है. अर्थात् sender को पूरी window ही दुबारा send करनी पड़ती है.
  • इसीलिए इस protocol का नाम Go back N पड़ा.
point 7:-
  • यदि कोई frame रिसीवर तक पहुँचने से पहले ही lost हो जाती है तो उस frame को दुबारा वापस तभी भेजा जा सकता है जब उसका timer expire होगा.
Go back N की efficiency (दक्षता)
इसकी efficiency को निम्नलिखित समीकरण के द्वारा समझा जा सकता है:-
N = N / (1 + 2a)
जहाँ N, sender window size है.

what is Selective Repeat Protocol in Hindi

Selective repeat protocol को Selective Repeat ARQ (Automatic Repeat reQuest) भी कहा जाता है. यह एक डेटा लिंक लेयर प्रोटोकॉल है जो कि sliding window विधी का प्रयोग करता है.
Go back N प्रोटोकॉल अच्छी तरह कार्य करता है यदि उसमें errors कम होते है. परन्तु यदि line ख़राब होती है तो frames को दुबारा भेजने में बहुत सारीं bandwidth का नुकसान होता है. इसलिए हम Selective repeat का प्रयोग करते है.
Selective repeat के features और working को नीचे दिए बिन्दुओं (points) के आधार पर आसानी से समझ सकते है:-
point 1:-
  • इसमें sender window size हमेशा receiver window size के बराबर होता है. (Sender window का size = Receiver window का size)
  • इनका size हमेशा 1 से बड़ा होता है अन्यथा यह प्रोटोकॉल stop and wait protocol बन जायेगा.
  • यदि sequence नंबर के लिए n bits उपलब्ध है तो,
    Sender window का size = Receiver window का size = 2n/2 = 2n-1
point 2:-
  • receiver प्रत्येक frame को independent (स्वत्रंत) रूप से acknowledge करता है.
  • जब भी रिसीवर, सेन्डर से कोई frame रिसीव करता है तो वह इसका acknowledgement भेजता है.
point 3:-
  • यदि receiver किसी ऐसे frame को receive करता है जो corrupt हो तो, वह उसे सीधे discard नही करता बल्कि sender को एक negative acknowledgement भेजता है.
  • negative acknowledgement मिलते ही sender उस frame को दुबारा भेज सकता है. और उसे किसी timer के expire होना का इन्तजार नही करना पड़ता.

point 4:-

  • यदि किसी frame का sequence नंबर गलत होता है तो रिसीवर उस frame को discard नहीं करता.
  • वह इस frame को अपने window में रख लेता है.
point 5:-
  • selective repeat में, receiver window को एक linked list की तरह implement किया जाता है.
  • जब receiver कोई नया frame रिसीव करता है तो वह इस नए frame को linked list के अंत में डाल देता है.
  • जब भी किसी frame का sequence नंबर गलत होता है अर्थात् frames अपने क्रम (order) में नहीं होते है तो रिसीवर sorting को परफॉर्म करता है.
  • sorting के द्वारा order (क्रम) को सही कर लिया जाता है.
point 6:-
  • यदि sender कोई frame भेजता है और वह बीच में कही lost हो जाता है. तो सेन्डर searching ऑपरेशन को परफॉर्म करता है और उस खोये हुए फ्रेम को search करता है.
  • और जब फ्रेम मिल जाता है तो sender उसे select करके दुबारा भेज देता है. इसमें पूरी window को भेजने की जरूरत नही पड़ती.
  • इसलिए इस प्रोटोकॉल को Selective repeat कहते है.
point 7:-
  • यदि कोई frame रिसीवर तक पहुँचने से पहले ही खो जाती है तो उसे केवल तब ही दुबारा भेजा जा सकता है जब इस फ्रेम के लिए time out timer खत्म (expire) हो जाता है.

Selective repeat की efficiency (दक्षता)

Efficiency = N / (1 + 2a)
जहाँ N, sender window size है.

difference between Go back N and selective repeat protocol in hindi (इनके मध्य अंतर)

 go back n protocol & selective repeat in hindi
इनके मध्य अंतर को निम्नलिखित table के द्वारा समझा जा सकता है:-
Go-Back-NSelective Repeat
इसमें यदि कोई फ्रेम corrupt या खो जाए तो उसके बाद आने वाली सभी frames को भी दुबारा भेजना पड़ता है.इसमें केवल उसी फ्रेम को दुबारा भेजा जाता है जो corrupt या खो जाती है.
यदि इसमें error rate उच्च होता है तो यह बहुत सारीं bandwidth को बर्बाद कर देता है.कम bandwidth का नुकसान होता है.
यह कम complex (कठिन) होता है.यह ज्यादा complex होता है क्योंकि इसमें sorting तथा searching भी करनी पड़ती है. और इसको ज्यादा storage की भी आवश्यकता होती है.
इसमें sorting नही करनी पड़ती.इसमें frames को सही क्रम में लाने के लिए sorting की जाती है.
इस में searching नहीं की जाती है.खोये हुए frames को search करने के लिए इसमें searching ऑपरेशन को perform किया जाता है.
इसका प्रयोग ज्यादा किया जाता है.इसका प्रयोग कम किया जाता है क्योंकि यह ज्यादा complex है.


Thanks for watching these page 🙏.

Comments

Popular Post

Difference Between Multiprocessing & Multitasking Operating System in Hindi

सल्फास क्या होता है - Celphos Ka Use Kaise Kare

Instagram Full Details – आविष्कार, CEO, अकाउंट, Followers, पासवर्ड, Blue Tick, Bio, Hashtags